May 5, 2023, 20:11 IST

Ujjain News: बेमौसम बरसात से उफनी शिप्रा नदी, रामघाट से दत्त अखाड़ा घाट को जोड़ने वाली रपट डूबी

Ujjain News: बेमौसम बरसात से उफनी शिप्रा नदी, रामघाट से दत्त अखाड़ा घाट को जोड़ने वाली रपट डूबी

सुमित कुमार, संवाददाता

Ujjain News: मालवा-निमाड़ अंचल में हो रही बेमौसम बरसात से शुक्रवार को उज्जैन में मोक्षदायिनी शिप्रा नदी उफन गई। सहायक प्रदूषित कान्ह नदी का सारा गंदा पानी स्टाप डेम से ओवर फ्लो होकर मिलने से शिप्रा का स्वच्छ जल और अधिक खराब हो गया।

शिप्रा पार करने को राम घाट से दत्त अखाड़ा घाट के बीच बनाई रपट पहली बार मई के महीने में डूबते देख तीर्थ पुरोहित, पंडे-पुजारी और नियमित स्नान करने वाले श्रद्धालु हैरान हुए।

मालूम हो कि उज्जैन सहित आसपास के जिलों में 28 अप्रैल से लगातार रुक- रुककर बरसात हो रही है। बीते आठ दिनों में अब तक उज्जैन शहर में कुल 45 मिलीमीटर बरसात शहर में हो चुकी है। इंदौर में भी वर्षा हुई है। अधिक बरसात की वजह से इंदौर के सीवेज युक्त नालों के पानी से बनी कान्ह नदी में भी पानी बढ़ गया है। सारा गंदा पानी विभिन्न स्टाप डेम से होता हुआ उज्जैन में प्रवाहित शिप्रा नदी में सीधे मिल रहा है। इससे गऊघाट स्टापडेम में पेयजल के लिए जमा नर्मदा का स्वच्छ जल भी पूरी तरह खराब हो गया।

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और जल संसाधन विभाग के प्रयासों से जब साल 2016 में 95 करोड़ रुपये खर्च कर कान्ह नदी को डायवर्ट करने के लिए भूमिगत पाइपलाइन बिछवाई गई थी, तब ‘सरकार’ ने दावा किया गया था कि शीत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु में कान्ह का पानी कभी भी शिप्रा के नहान क्षेत्र (त्रिवेणी से कालियादेह) के बीच नहीं मिलेगा। हालांकि ऐसा एक भी वर्ष नहीं हुआ। हर ऋतु में कान्ह का पानी शिप्रा में मिलता रहा। कारण, कभी पाइपलाइन लीकेज होना रहा तो कभी इंदौर से पानी का बहाव अधिक होना।

मालूम हो कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का सीवेज युक्त 5 क्यूमेक पानी कान्ह नदी के रूप में उज्जैन आकर शिप्रा नदी (नहान क्षेत्र) में त्रिवेणी घाट के समीप मिलता है। इससे शिप्रा का समूचा स्वच्छ, शुद्ध जल भी दूषित हो जाता है। हालांकि इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी का दावा है कि इंदौर का पानी उपचार के बाद ही शिप्रा में मिलने को छोड़ा जाता है। पर धरातल पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इस बात को प्रमाणित कर चुका है कि कान्ह का पानी अत्यंत दूषित है, जिससे जलीय जीव को भी ख्रतरा है।

शिप्रा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा बनाई 598 करोड़ 66 लाख रुपये की कान्ह नदी डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना भी वर्षाकाल में काम नहीं आएगी। बरसात का पानी इस बाक्स से नहीं गुजार पाएगा। क्योंकि ऐसा किया गया तो बाक्स में गाद भराने से बाक्स चोक होने की पूरी संभावना रहेगी। 95 करोड़ रुपये की कान्ह डायवर्शन योजना -प्रथम में भी यह स्पष्ट था।

अफसर के मुताबिक क्लोज डक्ट परियोजना सिंहस्थ- 2052 के वक्त इंदौर-सांवेर शहर की भावी जनसंख्या (81 लाख 52661) को ध्यान में रखकर बनाई है। अभी इंदौर से पांच क्यूमेक जल उद्वहन होता है, भविष्य में 30 क्यूमेक सीवेज जल उद्वहन होगा। सिंचाई के मौसम में बारिश हुई तो 40 क्यूमेक का प्रवाह संभावित है। योजना सिंहस्थ- 2028 से पहले पूर्ण करा ली जाएगी।

धरातल पर काम करने वाली एजेंसी का चयन किया जाना शेष है। चयन होते ही कार्य आदेश जारी कर काम शुरू कराएंगे। योजना अंतर्गत त्रिवेणी घाट के पास गोठड़ा गांव में कान्ह नदी पर पांच मीटर ऊंचा पक्का स्टापडैम भी बनाया जाएगा। यहां से कालियादेह महल के आगे तक शिप्रा नदी के किनारे 16.5 किलाेमीटर लंबा 4.5 बाय 4.5 मीटर चौड़ा आरसीसी बाक्स बनाकर बिछाया जाएगा। इससे 40 क्यूमेक पानी डायवर्ट किया जा सकेगा। अंतिम 100 मीटर लंबाई में ओपन चैनल का निर्माण किया जाएगा। परियोजना का रखरखाव निर्माण एजेंसी द्वारा 15 वर्षों तक किया जाएगा।