भोपाल। प्रदेश में अब खुलने वाले शासकीय मेडिकल कालेजों में चिकित्सा शिक्षकों के पदोन्नति के पदों पर भी सीधी भर्ती होगी। कालेज खुलने के पांच वर्ष तक यह व्यवस्था रहेगी।
इसमें सह प्राध्यापक और प्राध्यापक के पद शामिल हैं। नियम बनाने की वजह यह है कि इन पदों को पदोन्नति से भरना मुश्किल होगा। दरअसल, प्रदेश के मौजूदा सभी 13 सरकारी कालेज स्वशासी हैं।
पदोन्नति के बाद भी यहां के चिकित्सा शिक्षकों को नए कालेजों में नहीं भेजा जा सकता। ऐसे में नए कालेजों में इन पदों को भरने के लिए सीधी भर्ती का नियम बनाने की आवश्यकता पड़ी। हाल ही में कैबिनेट से सभी नए कालेजों को स्वशासी की जगह सरकार के नियंत्रण में रखने का निर्णय लिया गया है।
दरअसल, वर्तमान स्वशासी कालेजों में भी पहले सह प्राध्यापक और प्राध्यापक के पदों पर सीधी भर्ती की प्रविधान नहीं था। वर्ष 2018 में पदोन्नति से सीधी भर्ती का नियम बनाया गया। नए खुलने जा रहे कालेज शासन के अधीन होंगे, इसलिए वहां यह नियम लागू नहीं होंगे।
उधर, पूर्व में सरकारी कालेजों के लिए बने नियमों में सहायक प्राध्यापक छोड़ बाकी पदों पर सीधी भर्ती का नियम नहीं था। इस कारण अब इसमें संशोधन कर नई व्यवस्था की गई है। इससे मध्य प्रदेश या दूसरे राज्यों के निजी और सरकारी कालेजों के फैकल्टी प्रदेश के कालेजों में आ सकेंगे। इससे कालेजों को मान्यता मिलने के साथ ही रोगियों के उपचार में भी सुविधा हो जाएगी।
सतना, मंडला, मंदसौर, नीमच, राजगढ़, सिंगरौली, श्योपुर, सिवनी, छतरपुर, बुधनी, उज्जैन और दमोह।
यहां के लिए भी राज्य सरकार ने की है घोषणा
खरगोन, धार एवं भिंड
नए कालेजों में फैकल्टी के पदों पर पूर्ति के लिए यह व्यवस्था की गई है। आगामी पांच वर्ष में एक दर्जन से ज्यादा मेडिकल कालेज खोले जाने हैं। ऐसे में फैकल्टी की कमी से इनकी मान्यता पर कोई संकट नहीं आए, इसलिए यह व्यवस्था की गई है।
विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री।