Apr 3, 2023, 08:11 IST

MP News: शिप्रा को कान्ह के प्रदूषण से बचाएगी 16 किमी की Under Ground नहर, जल्द शुरू होगा निर्माण

MP News: शिप्रा को कान्ह के प्रदूषण से बचाएगी 16 किमी की Under Ground ​​​​​​​ नहर, जल्द शुरू होगा निर्माण

उज्जैन की शिप्रा नदी को कान्ह नदी के गंदे पानी से बचाने के लिए लंबे समय से प्रशासन द्वारा कोई ना कोई प्रयास किया जा रहा है।

तमाम कोशिशों और डायवर्सन के बावजूद गंदा पानी आकर मोक्षदायिनी मां शिप्रा में मिल जाता है। यही वजह है कि अब अंडरग्राउंड नहर के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। जिसके टेंडर जारी हो चुके थे जो जल्द ही खुल जाएंगे।

10 अप्रैल तक टेंडर खोलने की बात कही जा रही है और बताया जा रहा है कि 2 से 3 महीने में काम शुरू कर इसे 2 सालों में पूरा किया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि मोक्षदायिनी को साफ होने में 2 वर्षों का समय और लगेगा। इस बात का दावा किया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के चलते कान्ह नदी का गंदा पानी शिप्रा में मिलने से रुक जाएगा क्योंकि उसे डायवर्ट कर दिया जाएगा।

6 दिसंबर 2022 को मंत्री परिषद की ओर से इस टेंडर को मंजूरी दी गई थी और अब भोपाल में इसके टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। सिंहस्थ 2028 की दृष्टि से यह एक बड़ा प्रोजेक्ट होने वाला है जिस पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। 12 साल में एक बार लगने वाले इस मेले में शिप्रा स्नान सबसे महत्वपूर्ण होता है। यही वजह है कि इस प्रोजेक्ट को गंभीरता से लिया जा रहा है।

4.5 मीटर आयात कार की इस नहर को शिप्रा के समांतर आरसीसी बॉक्स से तैयार किया जाएगा।

ये 16.7 किलोमीटर लंबी और 4.5 मीटर चौड़ी होगी, जिससे बारिश के अलावा 40 क्यूसेक पानी डायवर्ट हो सकेगा।

इस नदी के जरिए कान्ह नदी का गंदा पानी गोठड़ा स्टॉप डेम से डायवर्ट करते हुए कालियादेह महल क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा।

इसकेआगे और पीछे के मुहाने सौ 100-100 मीटर तक खुले रहेंगे। इसके संचालन मेंटेनेंस और सफाई की जिम्मेदारी निर्माण करने वाली एजेंसी की रहेगी।

कान्ह से क्या नुकसान

कान्ह नदी का गंदा पानी शिप्रा नदी में मिलने से परेशानियों का दौर लगातार देखा जाता है और इससे जलीय जीवो को भी नुकसान पहुंचता है।

श्रद्धालु जब स्नान के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें साफ पानी नहीं मिल पाता है और प्रशासन को स्नान पर्व के दौरान नर्मदा के साफ पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है।

नर्मदा के साफ पानी को शिप्रा में लाने से पहले उसमें मौजूद गंदे पानी को बहाना सबसे बड़ी चुनौती है।

कान्ह का ना पानी शिप्रा में ना मिले इसके लिए त्रिवेणी पर कच्चे बांध का निर्माण भी हर मौके पर किया जाता है। एक दो बार ऐसी परिस्थिति भी देखी गई है जब बांध बह जाने से परेशानी बढ़ गई।