Mahakal Sehra Darshan Ujjain: महाशिवरात्रि का पर्व पर उज्जैन में स्थित विश्व के एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भूत भावन बाबा महाकाल का दूल्हे के स्वरूप में श्रृंगार कर फूलों का सेहरा सजाया जाता है। बाबा को दूल्हा स्वरूप में देखने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालुओं का सैलाब मंदिर में उमड़ता है। मंदिर के पंडित और पुरोहित इस परंपरा का निर्वहन करते हैं।
शिवरात्रि का पर्व तो महाकाल मंदिर में धूमधाम से मनाया ही जाता है। लेकिन इसके दूसरे दिन भोलेनाथ के स्वरूप को देखने के लिए भक्त बेताब नजर आते हैं। ये वही दिन होता है जब श्रद्धालु अपने आराध्य को दूल्हा स्वरूप में देख पाते हैं। देशी विदेशी फूलों, सप्त धान, भांग, केसर, चंदन, सुगंधित इत्र, चांदी, फल से किया गया ये श्रृंगार बहुत की आकर्षक होता है। भक्त पलक पांवड़े बिछाकर बाबा के इस रूप को निहारते नजर आते हैं।
महाकाल तीनों लोगों के अधिपति है और जब उनका सेहरा श्रृंगार होता है तो दुनिया भर के भक्त उन्हें निहारने के लिए पहुंचते हैं। श्रृंगार के अलावा यहां एक और परंपरा निभाई जाती है और वह है वर्ष भर में एक बार दोपहर में होने वाली भस्म आरती। ये अद्भुत परंपरा सिर्फ महाकाल मंदिर में ही देखने को मिलती है।
सेहरा श्रृंगार दर्शन पूरे होने के बाद महाकाल को चढ़ाया गया श्रृंगार जब उतारा जाता है तो इसे लूटने के लिए भी भक्त उतावले दिखाई देते हैं। इस परंपरा के बारे में शास्त्रों में तो कोई उल्लेख नहीं किया गया है लेकिन इसे सेहरा लूटने की परंपरा कहा जाता है। मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सेहरे के धान को घर में रखने से मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद बना रहता है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। वहीं सेहरे के फूलों को लोग अपने घर की तिजोरी में रखते हैं ताकि धन की बरकत बनी रहे। फलों को भक्त प्रसादी के रूप में अपने साथ ले जाते हैं।