Gwalior News : सीएम शिवराज को रोज कई पत्र लोग लिखते हैं, कई तरह की गुहार लगाते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी गुहार की बात कर रहे हैं जो बहुत मार्मिक है, ये आपको सिर्फ द्रवित ही नहीं करेगी, आपकी आंखों को भी नम कर देगी, जी हाँ – ये गुहार है एक भांजी की, जो उसने भीगी आंखों से मामा शिवराज से की है।
ग्वालियर के गुडी गुडा का नाका क्षेत्र में रहने वाली निशा वंशकार 12 की छात्रा है उसके पेपर चल रहे हैं, लेकिन इसी दौरान उसे कोई ऐसा दर्द दे गया जो उसकी आँखों से बह रहा है, दरअसल कोई बदमाश उसकी साइकिल चोरी कर ले गया, अब निशा परेशान है कि वो परीक्षा कैसे देगी?
आपको बता दें कि निशा के पिता मजदूरी करते हैं उनके छह बच्चे हैं, इन बच्चों ने पाई पाई जोड़कर दो साल में एक साईकिल खरीदी, ये साइकिल ही नहीं थी, इन भाई बहनों के लिए जान से ज्यादा प्यारी थी, निशा की बड़ी बहन इस साइकिल से कॉलेज जाती थी, निशा स्कूल जाती थी और इस समय परीक्षा देने जा रही थी।
निशा के मुताबिक उसका परीक्षा केंद्र गजरा रजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है जहाँ वो परीक्षा देने जाती है, पहला पेपर उसने दिया, दूसरा पेपर देने 4 मार्च को गई, स्कूल में ताला लगाकर उसने साइकिल कड़ी कर दी लेकिन जब परीक्षा देकर वो साइकिल उठाने पहुंची तो उसेक होश उड़ गए, साइकिल जगह पर नहीं थी, कोई चोर उसे ले उड़ा था।
परेशान निशा जैसे तैसे घर पहुंची, अपनी मां के साथ पुलिस थाने गई तो पुलिस ने ये कहकर भगा दिया कि छोटी चोरी की रिपोर्ट नहीं लिखते, केंद्र अध्यक्ष से कहा तो उन्होंने भी कोई मदद नहीं की, जिला शिक्षा अधिकारी के पास गई तो उन्होंने भी टरका दिया।
अब निशा ने मामा शिवराज से गुहार लगाईं है – निशा कहती है कि हम भाई बहनों ने 100 – 100 रुपये जोड़कर 4000 रुपये जमा किये और एक साइकिल खरीदी थी, ये साइकिल ही हम भाई बहनों का सहारा थी जिससे हम लोग पढ़ाई करते थे, जिसे कोई चुरा ले गया, वो कहती है कि साइकिल चोरी होने के बाद से मुझे नींद नहीं आ रही, तनाव हो रहा है कि मैं परीक्षा देने कैसे जाउंगी।
निशा ने बताया कि परीक्षा केंद्र गजरा रजा स्कूल उसके घर से करीब आठ किलोमीटर दूर है अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं 16 किलोमीटर कैसे आउंगी जाउंगी, उसने सीएम शिवराज से गुहार लगाई है कि मामा मुझे मेरी साइकिल दिलवा दो, मेरा अगला पेपर 18 मार्च को है, मुझे मेरी साइकिल मिल जाए जिससे मेरी पढ़ाई में कोई परेशानी ना हो, परीक्षा अच्छे से दे पाऊं।