Jalpaiguri: सिक्किम में भीषण बाढ़ के कारण फंसे पर्यटकों को भारतीय सेना ने बचाना शुरू कर दिया है. त्रिशक्ति कोर ने सोमवार को 63 विदेशियों सहित 1,700 पर्यटकों को सहायता प्रदान की, जो विशेष रूप से उत्तरी सिक्किम में प्राकृतिक आपदाओं के कारण फंसे हुए थे. 6 दिन बाद मौसम में सुधार होते ही Mi 17 हेलीकॉप्टर से बचाव कार्य शुरू हुआ. सेना ने सोमवार सुबह से ही लाचेन में फंसे पर्यटकों को निकालना शुरू कर दिया.
पर्यटकों को लाचेन से हेलीकॉप्टर द्वारा बचाया गया और मंगन के रिंगिम हेलीपैड पर लाया गया. सिक्किम सरकार द्वारा फंसे हुए पर्यटकों को बचाने का प्रयास किया गया, लेकिन प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण यह संभव नहीं हो सका. खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर सेवाएं अभी तक सामान्य नहीं हो पाई हैं. इसी बीच एनडीआरएफ जवानों का एक दल पैदल ही सिक्किम के चुंगथांग पहुंच गया.
दूसरी टीम चुंगथांग के लिए रवाना हो गई. फंसे हुए पर्यटकों को बचाने में सेना के साथ-साथ वे भी मदद करेंगे. एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट विवेक कुमार ने कहा, 'हम पर्यटकों को मंगन से हवाई मार्ग से लाएंगे. क्योंकि मंगन तक सड़क की हालत अच्छी नहीं है. मंगन हेलीपैड तक पैदल जाना पड़ता है. वहां से पर्यटकों को बागडोगरा एयरफोर्स हेलीपैड पर छोड़ा जाएगा. एक दल पैदल भी चुंगथांग पहुंच गया है. एक अन्य टीम पहले ही चुंगथांग के लिए रवाना हो चुकी है.'
गुवाहाटी में रक्षा मंत्रालय के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने कहा कि भारतीय सेना की त्रिशक्ति कोर के जवान पहले से ही उत्तरी सिक्किम के लाचेन, लाचुंग, चांगु और चुंगथांग क्षेत्रों में फंसे 1,700 पर्यटकों को हर तरह की सहायता प्रदान कर रहे हैं. भोजन और चिकित्सा सहायता के अलावा, पर्यटकों को उनके परिवारों के साथ संपर्क की सुविधा दी जा रही है.
सिक्किम के प्रभावित इलाकों में मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को पर्यटकों को निकालने में भारी परेशानी हो रही है. जब तक पर्यटकों को बचाकर मैदानी इलाकों में नहीं लाया जाता, तब तक सेना ने पर्यटकों को सुरक्षित रखने के सारे इंतजाम कर लिए हैं. त्रिशक्ति कोर के जवान भी लापता जवानों की तलाश कर रहे हैं. प्राकृतिक आपदा के कारण सेना का कैंप तीस्ता नदी के बहाव में बह गया.
परिणामस्वरूप, 23 जवान लापता हो गए, लेकिन 4 अक्टूबर को एक को जीवित बचा लिया गया. बरामद शवों में आठ जवानों की पहचान हो चुकी है, लेकिन 14 और जवानों का अभी भी कोई पता नहीं चल पाया है. लापता सेना के जवानों को ढूंढने के लिए खोजी कुत्तों और विशेष ट्रैकिंग उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है.