कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को दावा किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख एम एस गोलवलकर के कुछ बयानों से लगता है कि वह दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों को समान अधिकारों के खिलाफ थे.
इस पर संघ की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है और कहा कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बयानों को तोड़ मरोड़ के पेश कर रहे हैं.
गुरु गोलवलकर जी के दलितों पिछड़ों और मुसलमानों के लिए व राष्ट्रीय जल जंगल व ज़मीन पर अधिकार पर क्या विचार थे अवश्य जानिए। @INCIndia @INCMP pic.twitter.com/dIYLrGUHQ3
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 7, 2023
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान पर इंदौर में उन पर समाज में दुर्भावना फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. दरअसल दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीटर पोस्ट पर एक ट्वीट किया जिसमें गोलवलकर के हवाले से कह गया है कि वह दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों को समान अधिकार देने के बजाय ब्रिटिश शासन में रहना पसंद करेंगे. कुछ अन्य विवादास्पद टिप्पणियों के लिए भी उन्हें जिम्मेदार बताया गया है.
वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सिंह पर आरोप लगाया कि 'फोटोशॉप' की गयी एक तस्वीर के माध्यम से गोलवलकर को गलत तरह से ऐसे बयान देने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और इसका मकसद सामाजिक विद्वेष पैदा करना है. संघ के प्रचार विभाग के प्रमुख सुनील आंबेकर ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पर 'फोटोशॉप' की गयी तस्वीर जारी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह निराधार है और इसका मकसद सामाजिक विद्वेष पैदा करना है. आंबेकर ने कहा, ''गुरुजी ने कभी ऐसे बयान नहीं दिये. उनका जीवन सामाजिक भेदभाव समाप्त करते हुए बीता था.''
गुरुजी के नाम से मशहूर माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे संघ प्रचारक थे. इनका जन्म 19 फरवरी, 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था. बनारस में हेडगेवार के कार्यक्रम में इनका परिचय पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से हुआ, जहां ये डॉ. हेडगेवार की विचारधारा से काफी प्रभावित हुए. डॉ. हेडगेवार ने अपने गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए 13 अगस्त, 1939 को रक्षाबंधन के अवसर पर गोलवलकर को 'सरकार्यवाहक' के पद पर नियुक्त किया था. 1940-1973 यानी 33 सालों तक इन्होंने आरएसएस के स्वरूप को विस्तार देने के लिए काम किया. 5 जून, 1973 को गोलवलकर कि मृत्यु हो गई थी.