Oct 13, 2024, 20:04 ISTChhattisgarh

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, तलाक के बाद ससुराल में नहीं रह सकती महिला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, तलाक के बाद ससुराल में नहीं रह सकती महिला

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सिंगल बेंच द्वारा जारी अवमानना आदेश को रद्द कर दिया। इस फैसले के मुताबिक तलाक होने के बाद महिला ससुराल में नहीं रह सकती है। 

कोर्ट ने सिंगल बेंच की तरफ से जारी किए गए अवमानना आदेश को भी रद्द किया है।

मिली जानकारी के मुताबिक बिलासपुर के शैलेश जैकब और मल्लिका बल का तलाक हो चुका है। इस मामले में पत्नी मल्लिका ने ससुराल में रहने के लिए अलग कमरा न मिलने पर अवमानना की याचिका दायर की थी। इसी प्रकरण में हाईकोर्ट की डबल बैंच ने निर्णय दिया है।

बताया जा रहा है कि बिलासपुर के जरहाभाटा में रहने वाले शैलेश जैकब और मल्लिका बल के विवाह के कुछ समय बाद ही अलगाव पनपने लगा था। मल्लिका बल ने शैलेश की मां, भाई और बहन पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था। उसने मजिस्ट्रेट अदालत में आवेदन भी किया था, जो खारिज हो गया था।

इसके बाद, मल्लिका बल की ओर से सेशन कोर्ट में भी अपील दायर की। सेशन कोर्ट में भी आवेदन मंजूर नहीं किया गया। आखिरकार मल्लिका बल ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दायर की थी। इसी प्रक्रिया के बीच में शैलेश की मां का निधन हो गया और पति- पत्नी का तलाक भी हो गया।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मल्लिका बल की अपील पर सुनवाई करते हुए पति और परिवार के विरुद्ध चार्ज फ्रेम किये। अदालत ने पत्नी को ससुराल में अलग रूम देने का निर्देश दिया था। पति की तरफ से अलग कमरे की व्यवस्था नहीं की गई, तो मल्लिका बल ने अवमानना याचिका फाइल कर दी।

मल्लिका बल के याचिका पर हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया था। जिसके बाद शैलेश जैकब ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के न्यायमूर्ति पार्थ प्रतिम साहू और जस्टिस रजनी दुबे ने प्रकरण की सुनवाई की।

अदालत ने पाया कि तलाक के बाद दोनों का एक ही आवास में साथ रहना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। इसके साथ ही पति ने बताया था कि वह जिस मकान में निवास कर रहे हैं, वह क्रिश्चियन मिशन की संपत्ति है।