Apr 20, 2023, 19:33 IST

विद्यालयीन शिक्षा में रटने की प्रवृत्ति से हट कर सीखने की क्षमता की गति में अद्भुत परिवर्तन

विद्यालयीन शिक्षा में रटने की प्रवृत्ति से हट कर सीखने की क्षमता की गति में अद्भुत परिवर्तन 

सरकारी विद्यालयों के बच्चे अब किसी से कम नहीं है। विद्यालयीन शिक्षा में रटने की प्रवृत्ति से हट कर सीखने की क्षमता की गति में अद्भुत परिवर्तन आया है। शिक्षक बच्चों को अपने बच्चों की भांति समझ कर समरसता पूर्ण भाव से शिक्षा देंगे तो निश्चित तौर पर प्रदेश की विद्यालयीन शिक्षा का परिदृश्य बदलेगा। विद्यालयीन शिक्षा में गुणवत्ता को बेहतर करने की दृष्टि से इस सत्र से शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों में कक्षा 5वीं एवं कक्षा 8वीं की परीक्षाएँ बोर्ड पैटर्न पर की गई हैं। इसका सकारात्मक प्रतिफल आने वाले समय में कक्षा 10वीं एवं कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में देखने को मिलेगा। यह बात स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने एक कार्यक्रम े अवसर पर कही

संचालक राज्य शिक्षा केंद्र श्री धनराजू एस ने बताया कि यह प्रदेश में पहली बार हुआ है कि शासकीय विद्यालयों के कक्षा दूसरी के विद्यार्थियों ने भी ओएमआर शीट का उपयोग कर शैक्षिक ओलम्पियाड में भाग लिया। शाला स्तर से संकुल, विकासखण्ड, जिला स्तर तक कक्षा 2 से 6 तक के करीब साढ़े 6 लाख बच्चों की सहभागिता में हर कक्षा से चुने हुए टॉप 4-4 बच्चे राज्य स्तर पर अपने ज्ञान का प्रदर्शन कर रहे हैं।राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन किए जा रहे हैं। विद्यालयों में बच्चों की ऑनलाइन उपस्थिति लेने के भी व्यापक कार्य किए जा रहे हैं। शिक्षकों का दायित्व है कि वह श्रेष्ठ नागरिक निर्माण करने के भाव से शिक्षा देने के संकल्प और परिश्रम के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अपनी भूमिका का निर्वाहन करें।