Jan 11, 2023, 14:46 IST

Pravasi Bhartiya Sammelan: सिंगापुर की संस्था का अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज के साथ MOU, आयुर्वेद का दुनिया में बजेगा डंका

Pravasi Bhartiya Sammelan: सिंगापुर की संस्था का अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज के साथ MOU, आयुर्वेद का दुनिया में बजेगा डंका

सुमित कुमार - संवाददाता

Indore: इंदौर में आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन में सिंगापुर से आए हुए प्रतिनिधि मंडल ने लोकमान्य नगर स्थित अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज एवं हॉस्पिटल इंदौर का भ्रमण किया।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने सर्वप्रथम भगवान धनवंतरी का पूजन किया और हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों एवं आयुर्वेद के माध्यम से उनके द्वारा की जा रही चिकित्सा की जानकारी ली। प्रतिनिधिमंडल ने व्यवस्थाओं पर संतोष जताया। इस अवसर पर सिंगापुर की संस्था ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन फॉर पीपुल ऑफ इंडियन ओरिजन एवं शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज इंदौर के बीच आयुर्वेद की सुविधाओं के आदान-प्रदान के लिए एवं आयुर्वेद शिक्षा के आदान-प्रदान के लिए एक एमओयू साइन किया गया।

सिंगापुर से आए हरीकृष्ण मुथूस्वामी, मैनेजिंग डायरेक्टर एवं अध्यक्ष ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पीपुल ऑफ इंडियन ओरिजिन ने इस एमओयू को स्वीकृति दी। इस अवसर पर राजेश कुमार राज चेयरमैन एफओएमपी, आनंद मित्र सचिव, सुखदेव, हैप्पीनेस किंगडम सिंगापुर एवं अन्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कॉलेज के प्राचार्य डॉ अजीत पाल सिंह चौहान ने बताया कि, इस एमओयू के माध्यम से दोनों देशों के बीच आपसी सामंजस्य बढ़ेगा और चिकित्सा सुविधाएं भी बेहतर होंगी। डेलिगेशन ने कॉलेज, अस्पताल, फार्मेसी, हर्बल गार्डन, योगा सेंटर, पंचकर्म सेंटर का भ्रमण किया एवं सभी विषयों के विशेषज्ञों से आयुर्वेद के बारे में जानकारी ली। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अखलेश भार्गव ने बताया कि, प्रतिनिधि मंडल ने आयुर्वेद का विस्तार करने के लिए सिंगापुर आमंत्रित किया। इस अवसर पर कॉलेज एवं हॉस्पिटल का एक प्रेजेंटेशन भी दिखाया गया। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एस के दास अधिकारी द्वारा डेलिगेशन को अस्पताल का भ्रमण कराया गया।

भारतीय आयुर्वेद का डंका इन दिनों दुनिया में बज रहा है, जहां भारतीय आयुर्वेद को दुनिया भर में पसंद किया जा रहा है। दुनिया भर की अलग-अलग बीमारियों के लिए भारतीय आयुर्वेद से जुड़े नुस्खों और जड़ी बूटियों को इलाज के लिए उपयोग किया जा रहा है, जहां इन जड़ी बूटियों से इलाज के चलते अच्छा खासा असर बीमारों पर देखने मिल रहा है। यही कारण है कि, बीमारों की सेहत में हो रहा सुधार भारतीय आयुर्वेद के प्रति विश्व का विश्वास बढ़ रहा है। यही कारण है कि, अब लगातार भारतीय आयुर्वेद के साथ दुनिया जुड़ना चाहती है।