Nov 29, 2021, 07:57 IST

Barahi Devi Temple: बड़ा चमत्कारी है बाराही देवी शक्तिपीठ, गंभीर बीमारियां भी दर्शन मात्र से हो जाती हैं दूर

Barahi Devi Temple: बड़ा चमत्कारी है बाराही देवी शक्तिपीठ, गंभीर बीमारियां भी दर्शन मात्र से हो जाती हैं दूर

Barahi Devi Temple: भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक बाराही देवी का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है. मान्यता है कि यहां अगर गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों की बीमारी दूर हो जाती है. इतना ही नहीं, ये भी मान्यता है कि यहां नेत्रहीन व्यक्ति की भी आंखों की रोशनी वापस आ जाती है. शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव के अपमान से दुखी होकर माता सती ने अपने शरीर को योगाग्नि में भस्म कर दिया था. भगवान शिव इससे विचलित हो गए और सती के शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे. ऐसा देख भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए. ये टुकड़े जहां-जहां गिरे वे शक्तिपीठ बन गए.

इन्हीं शक्तिपीठों में से एक है बारही देवी या उत्तरभवानी देवी का मंदिर. बता दें कि देशभर में प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से बाराही देवी का मंदिर 354 वें स्थान पर है. मान्यता है कि यहां पर माता सती का जबड़ा गिरा था. ऐसा भी माना जाता है कि जो भी यहां दर्शन को आता है, उसकी आंखों की रोशनी ठीक हो जाती है.

कहां स्थित है बाराही देवी का मंदिर

बाराही देवी का मंदिर अयोध्या से लगभग 36 किलोमीटर दूर स्थित है. ये पूरा मंदिर ही वटवृक्ष की जड़ों से घिरा हुआ है. यह वटवृक्ष का पेड़ ही लगभग एक किलोमीटर में फैला हुआ है. जो कि एशिया के दूसरे सबसे बड़े वटवृक्षों में से एक है. माना जाता है कि ये पेड़ लगभग 1800 साल पुराना है.

दर्शन मात्र से दूर होती हैं बीमारियां

मंदिर के ही एक पुजारी के अनुसार भक्तों में मंदिर को लेकर बहुत श्रद्धा देखने को मिलती हैं. माता के दर्शन मात्र से ही कई रोगियों की बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक हो गई. पुजारी ने ही बताया कि यहां एक नेत्रहीन व्यक्ति आया था, अच्छे अस्पताल में इलाज कराने के बाद भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ था. निराश होने के बाद वे मंदिर आया, जहां उसकी आंखों में वटवृक्ष से निकलने वाला दूध डाला गया. और माता के चमत्कार से उसकी आंखें बिल्कुल ठीक हो गईं.

अष्टमी को लगता है मेला

कहते हैं कि यहां नवरात्रि अष्टमी को मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग मां के दर्शन करने नंगे पैर आते हैं. यहां लाखों की संख्या में लोग आते हैं. इतना ही नहीं, मंदिर में आने वाले लोगों में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदायों के लोग शामिल होते हैं.