Updated: Mar 6, 2023, 21:56 IST

सैनिकों के लिए खूफिया एजेंसियों ने जारी की एडवायजरी, चीनी मोबाइल फोन का न करें इस्तेमाल

सैनिकों के लिए खूफिया एजेंसियों ने क्यों जारी की एडवायजरी, चीनी मोबाइल फोन का न करें इस्तेमाल

चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर जारी विवाद के बीच खूफिया एंजेसियों ने चीनी मोबाइल फोन से नए खतरे की चेतावनी दी है. इसी के साथ ये भी सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना के जवानों के परिवारवाले इन फोनों का इस्तेमाल ना करें. सेना की खूफिया एजेंसियों द्वार दारी की गई एडवायजरी में कहा गया है कि जवान और उनके परिवार वाले भारत विरोधी देशों के मोबाइल फोन ना तो खरीदें औऱ ना ही इस्तेमाल करें.

सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों चीन की कंपनियों के मोबाइल फोनों में मैलवेयर और स्पाईवेयर पाए गए थे. यही वजह है कि खूफिया एजेंसियों ने अब जवानों और उनके परिवारवालों को इन मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से मना किया है.

रक्षा खुफिया एजेंसियों की तरफ से जारी की गई एडवायजरी में कहा गया है कि इस तरह के (चीनी) मोबाइल फोन से सावधानी बरतने के लिए संरचनाओं और इकाइयों को अपने कर्मियों को विभिन्न रूपों और चैनलों के माध्यम से संवेदनशील बनाना है. इससे पहले भी जासूसी एजेंसियां ​​चीनी मोबाइल फोन एप्लिकेशन के खिलाफ बहुत सक्रिय रही हैं और ऐसे कई एप्लिकेशन सैन्य कर्मियों के फोन से हटा दिए गए थे. रक्षा बलों ने भी चीनी मोबाइल फोन और चीनी एप्लिकेशन का उपयोग भी बंद कर दिया है.

ऐसे समय में सामने आई है जब हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री किन गांग से मुलाकात की थी. दिल्ली में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर ये मुलाकात हुई थी. मुलाकात के दौरान सीमा विवाद का मुद्दा भी उठा था. जयशंकर ने ट्वीट किया कि आज दोपहर में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर चीन के विदेश मंत्री किन गांग से मुलाकात की. हमारी बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए मौजूदा चुनौतियों पर ध्यान देने पर जोर दिया गया.

मीडिया से बात करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि मैं चीनी विदेश मंत्री से मिला. हमारी बातचीत हमारे संबंधों की वर्तमान स्थिति को लेकर थी जिसे आप में से कई लोगों ने मुझे असामान्य कहते हुए सुना. बैठक में मैंने जिन विशेषणों का उपयोग किया उनमें यह (असामान्य) भी था. उन्होंने कहा था कि हमारे रिश्ते में वास्तविक समस्याएं हैं जिन्हें देखने और बहुत खुलकर और स्पष्ट रूप से चर्चा करने की जरूरत है. बैठक का जोर हमारे द्विपक्षीय संबंधों और इसमें आने वाली चुनौतियों पर था. खास ध्यान सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को लेकर था.