May 9, 2023, 20:11 IST

हर साल 45 लाख से अधिक महिलाओं, शिशुओं की गर्भावस्था के दौरान हो जाती है मौत: डब्ल्यूएचओ

हर साल 45 लाख से अधिक महिलाओं, शिशुओं की गर्भावस्था के दौरान हो जाती है मौत: डब्ल्यूएचओ 

जेनेवा। दुनियाभर से हर साल 45 लाख से अधिक महिलाओं और शिशुओं की मृत्यु गर्भावस्था के दौरान, बच्चे के जन्म के समय या जन्म के कुछ सप्ताह के अंदर हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की जारी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि हर साल 45 लाख से अधिक महिलाओं और शिशुओं की मृत्यु गर्भावस्था, प्रसव या जन्म के पहले सप्ताह के दौरान होती है, जो हर सात सेकंड में एक मौत के बराबर है। समय से चिकित्सा नहीं मिलने और उचित देखभाल के अभाव में ज्यादतर ये मौतें होती हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि पिछले आठ वर्षों के अंदर गर्भवती महिलाओं, माताओं और शिशुओं की मृत्यु दर में कमी नहीं पाई गई है, क्योंकि उनकी स्वास्थ्य देखभाल में निवेश में कटौती की गई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वर्ष 2015 से, हर साल लगभग 2.90 लाख माताओं की मृत्यु हो जाती है, साथ ही 28 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद 19 लाख बच्चे और जन्म के बाद, पहले महीने के भीतर 23 लाख शिशु मर जाते हैं।

डब्ल्यूएचओ के मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य और वृद्धावस्था के निदेशक डॉ. अंशु बनर्जी के हवाले से संरा ने कहा, “गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दुनिया भर में अस्वीकार्य रूप से उच्च दर पर हो रही है और कोविड-19 महामारी ने उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए और अधिक झटके दिए हैं।” रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी अफ्रीकी देश, मध्य और दक्षिण एशिया ज्यादातर नवजात और मातृ मृत्यु दर से प्रभावित क्षेत्र हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने कहा, कि महिलाओं और शिशुओं के जीवन को बचाने के लिए प्रसव से पहले, प्रसव के दौरान और बाद में स्वास्थ्य विशेषज्ञ, गुणवत्तापूर्ण, सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ होनी चाहिए। इसके अलावा, स्वच्छ वातावरण, स्वच्छ पानी और बिजली आपूर्ति, सस्ती दवाएं उपलब्ध होनी चाहिए। एजेंसी ने बताया कि वर्तमान रुझानों के संबंध में 60 से अधिक देश 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में निर्धारित मातृ और नवजात मृत्यु दर को पूरा करने में विफल रहेंगे।