इसके माध्यम से 10 करोड़ मरीज और डॉक्टर के साथ अद्भुत नाता है। इसकी उपलब्धि के लिए सभी डाक्टरों व मरीजों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। भारत के लोगों ने तकनीक को कैसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया है, यह इसका जीता जागता उदाहरण है। देश के सामान्य मानव के लिए, मध्यम वर्ग के लिए, पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों के लिए ई-संजीवनी जीवन रक्षा का केंद्र बन रहा है। भारत के यूपीआई की ताकत भी आज जानते हैं। दुनिया के कई देश इसकी तरफ आकर्षित हैं। कुछ दिन पहले ही भारत और सिंगापुर के बीच पेनाऊ ऐप लांच किया गया है। भारत का ई-संजीवनी हो या यूपीआई, यह ईज ऑफ लिविंग को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अमरीका में रहने वाले श्रीमान कंचन बैनर्जी ने विरासत के संरक्षण से जुड़े ऐसे ही एक अभियान की तरफ मेरा ध्यान आकर्षित किया है।
मैं उनका अभिनंदन करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में हुगली जिला के बांसबेरिया में इस महीने त्रिबेनी कुम्भो महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें आठ लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए, लेकिन क्या आज जानते हैं कि यह इतना विशेष क्यों है? क्योंकि इस प्रथा को 700 साल के बाद पुनर्जीवित किया गया है। मैं इस आयोजन से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं। आज सिर्फ एक परंपरा को ही जीवित नहीं कर रहे हैं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत की भी रक्षा कर रह रहे हैं। हमारे युवाओं को देश के सुनहरे अतीत से जोडऩे का यह बहुत सराहनीय प्रयास है। भारत में ऐसे कई रीति-रिवाज है, जिन्हें फिर से जीवित करने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान में जन भागीदारी के मायने ही बदल दिए हैं। इस अभियान का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है वेस्ट टू वेल्थ। ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिला की एक बहन कमला मोहराना एक स्वयं सहायता समूह चलाती हैं। इस समूह की महिलाएं दूध की थैली और दूसरी प्लास्टिक पैकिंग से टोकरी और मोबाइल स्टैंड जैसी कई चीजें बनाती हैं। यह इनके लिए स्वच्छता के साथ ही आमदनी का भी एक अच्छा जरिया बन रहा है। हम अगर ठान लें तो स्वच्छ भारत में अपना बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। कम-से-कम प्लास्टिक के बैग की जगह कपड़े के बैग का संकल्प, तो हम सबको लेना ही चाहिए।