जम्मू। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) से आह्वान किया कि वह अपने कामों से लोगों के दिलों को भी जोड़ें। राजनाथ सिंह ने आज यहां बीआरओ की 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2,900 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया।
राजनाथ सिंह ने बिश्नाह-कौलपुर-फूलपुर रोड पर देवक ब्रिज पर आयोजित कार्यक्रम में बीआरओ की 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद कहा, “आपका काम केवल एक स्थान को दूसरे स्थान से जोड़ना ही नहीं बल्कि अपने कामों से लोगों के दिलों को जोड़ना भी है। निर्माणों को ‘लोगों के लिए, लोगों के द्वारा और लोगों द्वारा’ की भावना का प्रतिनिधित्व करना चाहिए।” उन्होंने बीआरओ से आह्वान किया कि वह स्थानीय निकायों और लोगों की जरूरतों के मुताबिक सीमावर्ती क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए इनपुट लेकर उन्हें शामिल करें।
उन्होंने बीआरओ को सशस्त्र बलों के ‘ब्रदर (भाई)’ के रूप में वर्णित किया और कहा कि अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से वह न केवल भारत की सीमाओं को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने इन परियोजनाओं के समय पर पूरा होने का श्रेय अपने कर्मियों की कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की प्रतिबद्धता को दिया।
रक्षा मंत्री ने कहा , “हम बीआरओ के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश सुरक्षित रहे और सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास हो। दूर-दराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समय पर पूरा करना अब नए भारत की नई सामान्य बात बन गई है।”
उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक 422.9 मीटर लंबा क्लास 70 आरसीसी देवक पुल रणनीतिक महत्व का है क्योंकि यह सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों को बढ़ाएगा और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में यह भी उम्मीद जतायी कि बीआरओ जल्द ही 15,855 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग शिनकुन ला सुरंग के निर्माण के साथ एक और अनूठा रिकॉर्ड स्थापित करेगा। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास और राष्ट्र की सुरक्षा में अमूल्य योगदान देने के लिए बीआरओ की सराहना करते हुए कहा कि यह सुरंग हिमाचल में लाहौल-स्पीति को लद्दाख में जांस्कर घाटी से जोड़ेगी और हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रभावी है, बल्कि पड़ोसी देश के साथ कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा देता है जो भारत के साथ सहयोग की भावना के साथ कार्य करता है।
उन्होंने कहा कि बीआरओ ने म्यांमार और भूटान जैसे कई देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निर्माण किया है और उनके साथ शांति और सहयोग को मजबूत करने में मदद की है। बीआरओ नागरिक और सैन्य क्षेत्रों के साथ समन्वय करके देश की सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है।
यह सहयोग सीमा बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कई सुनहरे अध्याय लिखेगा। उन्होंने पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सचेत रहने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आधुनिक तकनीकों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए बीआरओ की सराहना की। उन्होंने उनसे पर्यावरण संरक्षण पर समान जोर देते हुए विकासात्मक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
राजनाथ सिंह ने कहा,“ अब तक हमने ‘न्यूनतम निवेश, अधिकतम मूल्य’ के मंत्र के साथ काम किया है। अब हमें ‘न्यूनतम पर्यावरण क्षरण, अधिकतम राष्ट्रीय सुरक्षा, अधिकतम कल्याण’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ने की जरुरत है।” इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, जम्मू के सांसद जुगल किशोर शर्मा, सीमा सड़क महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी और पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल पंकज मोहन सिन्हा उपस्थित थे।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए। आज की समर्पित 90 परियोजनाओं में से अरुणाचल प्रदेश में 36 , लद्दाख में 26 , जम्मू-कश्मीर में 11 , मिजोरम में पांच , हिमाचल प्रदेश में तीन , सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में दो-दो तथा नागालैंड, राजस्थान और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में एक-एक परियोजनाएं शामिल हैं।