Nov 18, 2023, 09:04 IST

नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत, व्रतियों ने गंगा में लगाई डुबकी, सूर्य को किया जल अर्पित

नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत, व्रतियों ने गंगा में लगाई डुबकी, सूर्य को किया जल अर्पित

पटना:  नहाय-खाय के साथ शुक्रवार को लोक-आस्था का चार दिवसीय अनुष्ठान छठ शुभारंभ हो गया। लोकआस्था के महापर्व छठ के पहले दिन व्रती नर-नारियों ने अंत:करण की शुद्धि के लिए नहाय-खाय के संकल्प के तहत गंगा व नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू किया।

परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किए जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है। महापर्व छठ के दूसरे दिन महिला एवं पुरुष व्रती शनिवार को एक बार फिर नदियों, तालाबों में स्नान करने के बाद अपना उपवास शुरू करेंगे। दिनभर के निर्जला उपवास के बाद व्रती सूर्यास्त होने पर भगवान सूर्य की पूजा कर एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाएंगे।

इसके बाद जब तक चांद नजर आएगा, तभी तक वह जल ग्रहण कर सकेंगे और उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार-निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदियों और तालाबों में खड़े होकर प्रथम अघ्र्य अर्पित करेंगे। व्रतधारी अस्त हो रहे सूर्य को फल और कंद मूल से अघ्र्य अर्पित करते हैं। पर्व के चौथे और अंतिम दिन नदियों और तालाबों में उदीयमान सूर्य को दूसरा अघ्र्य दिया जाएगा। दूसरा अघ्र्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का करीब 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न-जल ग्रहण करते हैं।