Jun 19, 2022, 08:32 IST

तमिलनाडु, केरल, राजस्थान के मुख्यमंत्री की अपील, पीएम मोदी 'होल्ड' कर दें अग्निपथ योजना

तमिलनाडु, केरल, राजस्थान के मुख्यमंत्री की अपील, पीएम मोदी 'होल्ड' कर दें अग्निपथ योजना 

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के अग्निपथ योजना के विरोध में 15 राज्यों में जोरदार विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं. केरल में युवकों ने राजभवन का घेराव किया. राजस्थान में भी प्रदर्शन चल रहे हैं. तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश का भी वही हाल है. तो तेलंगाना, बिहार, यूपी में अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है. बिहार में अब तक 750 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं. ऐसे में केरल के CM पिनरई विजयन ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि वो अग्निपथ योजना को होल्ड कर दें और युवाओं के हित में ही कोई फैसला लें.

PM होल्ड कर दें ये योजना

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि सरकार को फिलहाल इस योजना को होल्ड पर रख देना चाहिए. उन्होंने एक ट्वीट में पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह से पूरे देश में इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं ये अपने आप में इस बात की तसदीक करता है कि युवा इस योजना से कहीं से भी खुश नहीं है. ऐसे में मैं पीएम मोदी से अनुरोध करता हूं कि वो फिलहाल इस योजना होल्ड कर दें. 

राजस्थान में अग्निपथ योजना के विरोध में प्रस्ताव पास

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक हुई. इस बैठक में देशभर के युवाओं द्वारा अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन पर चिंता भी जाहिर की गई. इस बैठक के बाद एक बयान जारी किया गया. जिसमे बताया गया कि बैठक के दौरान भारतीय सेना के इतिहास और उनके गौरव गाथा पर बात की गई. बैठक में कहा गया कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे बहादुर सेना है, जो अपने अदम्य साहस के लिए जानी जाती है. ऐसे में इसमे भर्ती के लिए इस योजना को लागू करने से सेना की छवि को धक्का लगेगा. 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री  ने की ये अपील

तमिलनाडु ने भी इस योजना को वापस लेने की मांग की है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार को कहा कि सरकार के इस फैसले से युवाओं में गुस्सा है. ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वो अपने फैसले पर फिर से विचार जरूर करे. उन्होंने कहा कि इस योजना को कई पूर्व सैनिक भी विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि सेना की नौकरी कोई पार्ट टाइम जॉब की तरह नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा होता है तो ये सेना के अनुशासन के लिए खतरनाक होगा.