नई दिल्लीः राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा के इस फैसले को गठबंधन के दलों ने समर्थन किया है। एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार घोषित होने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार सुबह ओडिशा के रायरंगपुर में शिव मंदिर में झाड़ू लगाकर सफाई की और इसके बाद पूजा अर्चना की। राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित होने के बाद उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी गई है।
शिव की शरण में मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार सुबह रायरंगपुर के शिव मंदिर में पूजा अर्चना की। इससे पहले उन्होंने मंदिर में झाड़ू लगाकर सफाई की। उन्होंने कहा कि "मैं आश्चर्यचकित और खुश हूं। एक आदिवासी महिला के तौर पर कभी नहीं सोचा था कि मुझे इस पद का उम्मीदवार बनाया जाएगा।" उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें ओडिशा के सभी दलों के सांसदों और विधायकों का समर्थन मिलने की उम्मीद है क्योंकि वह उस प्रदेश की बेटी हैं।
द्रौपदी मुर्मू को Z+ सुरक्षा
द्रौपदी मुर्मू को एनडीए का राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी है। सीआरपीएफ कमांडो के सशस्त्र दस्ते ने बुधवार तड़के मुर्मू की सुरक्षा संभाल ली है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि "यह ओडिशा के लोगों के लिए गर्व का क्षण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब मुझसे इस पर चर्चा की तो मुझे खुशी हुई। विश्वास है कि मुर्मू देश में महिला सशक्तिकरण के लिए उदाहरण स्थापित करेंगी।"
Congratulations Smt #DraupadiMurmu on being announced as candidate of NDA for the country’s highest office. I was delighted when Hon’ble PM @narendramodi ji discussed this with me. It is indeed a proud moment for people of #Odisha.
— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) June 21, 2022
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू
- द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को मयूरभंज के संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था।
- उन्होंने भुवनेश्वर के रमा देवी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है।
- वह ओडिशा में जूनियर असिस्टेंट और मानद असिस्टेंट टीचर रह चुकी हैं।
- साल 1997 में उन्होंने रायरंगपुर नगर पंचायत के सदस्य के रूप में राजनीति की शुरुआत की।
- साल 2000 में बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं।
- साल 2015 में झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं।
- द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति चुनाव जीतने पर वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी।
द्रौपदी मुर्मू कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य के साथ आगे बढ़ती रही हैं। उनकी जिंदगी में कई उथल पुथल हुए इसके बावजूद वह जीवनपथ पर डटी रहीं। साल 2009 में उनके एक बेटे की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इसके तीन साल बाद 2012 में एक सड़क हादसे में उनके दूसरे बेटे की भी मौत हो गई। इसके कुछ महीनों बाद हार्ट अटैक के चलते उनके पति का भी देहांत हो गया। जिदंगी में आए इन तुफानों में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और हर मुसीबत का साहस के साथ मुकाबला किया। द्रौपदी मुर्मू की एक बेटी विवाहित हैं जो भुवनेश्वर में रहती हैं।
द्रौपदी मुर्मू का यशवंत सिन्हा से मुकाबला
देश के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू का मुकाबला संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा से होगा। राष्ट्रपति पद के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा और अगर जरूरत पड़ी तो 21 जुलाई को मतगणना की जाएगी। 25 जुलाई को शपथ ग्रहण समारोह होगा।
पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा ने दलित नेता रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार बनाया था और इस बार एक आदिवासी नेता को इस पद के लिए उम्मीदवार बनाकर समाज में एक संदेश देने की कोशिश की है।