इसलिए उड़ता ताबूत कहा जाने लगा
मिग-21 विमानों को वायुसेना में 1963 में शामिल किया गया था और विभिन्न किस्म के करीब 900 विमान वायुसेना में शामिल किए गए। अधिकारियों ने बताया कि मिग-21 का बाकी तीन स्क्वाड्रन को 2025 तक हटाया जाएगा। दरअसल, हाल के सालों में कई मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। बीते छह दशकों में 400 से अधिक विमान दुर्घटना का शिकार हुए हैं, जिनमें करीब 200 पायलटों की मौत हुई है। बार-बार के हादसों के चलते इन्हें उड़ता ताबूत कहा जाने लगा।
वायुसेना की पांच नई स्क्वाड्रन
पिछले एक दशक में वायुसेना की पांच नई स्क्वाड्रन बनी हैं। इनमें तीन राफेल और दो एलसीए तेजस की हैं। सवाल सिर्फ मिग-21 विमानों को फेज आउट करने का नहीं, बल्कि मिराज-जगुआर भी पुराने हो चुके हैं। वायुसेना के पास 49 मिराज तथा 139 जगुआर हैं। उन्हें अपग्रेड करने की योजना है, लेकिन उस पर भारी भरकम खर्च आ रहा है। बेहतर समझ यह कहती है कि उन्हें अपग्रेड करने की बजाय नए खरीदे जाएं, लेकिन निर्णय नहीं हो पा रहा है।