Reuters, Moscow: व्लादिमार पुतिन ने मंगलवार को पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति पद की शपथ ली। क्रेमलिन में एक भव्य समारोह में शपथ लेकर 71 साल के व्लादिमार पुतिन ने अपने पांचवें कार्यकाल की शुरुआत की है। के्रमलिन पैलेस में पुतिन ने 33 शब्दों में शपथ ली। शपथ के बाद पुतिन ने कहा कि हम और मजबूत होंगे। हम उन देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करेंगे, जो हमें दुश्मन समझते हैं। मैं जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश करूंगा। रूस में 15-17 मार्च को हुए चुनाव में पुतिन को 88 फीसदी वोट मिले थे। उनके विरोधी निकोले खारितोनोव को सिर्फ 4 फीसदी वोट मिले थे। व्लादिमार पुतिन ने ऐसे समय में रूसी राष्ट्रपति का पद पांचवीं बार संभाला है, जब उन पर देश में विपक्ष को कुचलने का आरोप लग रहा है और पश्चिम के साथ टकराव काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है। रूस की सत्ता में लगातार मजूबत होते रहे व्लादिमार पुतिन के सामने अपने इस कार्यकाल में कई तरह की चुनौतियां होंगी। खासतौर से यूक्रेन में युद्ध का संकट उनके सामने एक बड़ा चैलेंज है।
व्लादिमार पुतिन के मुख्य प्रतिद्वंद्वी एलेक्सी नवलनी की आर्कटिक जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत के बाद मार्च में हुए चुनाव को पश्चिम ने एक दिखावा करार दिया है। रूस में पुतिन के ज्यादातर विरोधी या तो जेल में हैं या देश छोड़ चुके हैं। 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद सत्ता पर पुतिन की पकड़ और मजबूत होती रही है लेकिन इसके चलते रूस पश्चिमी प्रतिबंधों का भी सामना कर रहा है, जिससे रूसी अर्थव्यवस्था को काफी झटका लगा है। अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए कदम उठाने की चुनौती पुतिन के सामने होगी। यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिम के बैन को देखते हुए व्लादिमार पुतिनने ऊर्जा निर्यात में वृद्धि के साथ भारत और चीन को लुभाने के लिए पूर्व की ओर रुख किया है।
रूस में हुए व्लादिमार पुतिन के शपथ ग्रहण समारोह का अमरीका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों ने बहिष्कार किया है। हालांकि, भारत के राजदूत विनय कुमार कार्यक्रम में मौजूद रहे। व्लादिमार पुतिन ने साल 2000 में पहली बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। इसके बाद से 2004, 2012 और 2018 में भी वे राष्ट्रपति बन चुके हैं।