Mar 16, 2023, 08:00 IST

MP के इस शहर में विराजित है माता काली का चमत्कारी मंदिर, महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

MP के इस शहर में विराजित है माता काली का चमत्कारी मंदिर, महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

MP Tourism Ujjain: धार्मिक नगरी उज्जैन में कई सारे तीर्थ स्थल मौजूद है, जहां लाखों लोगों की आस्था उमड़ती हुई देखी जाती है। अनेक पुराणों में उज्जैन का उज्जयिनी और अवंतिका के नाम से उल्लेख किया गया है और मोक्षदायिनी मां शिप्रा के तट पर होने की वजह से इसका धार्मिक महत्व काफी ज्यादा है।

विश्व का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर उज्जैन में स्थित है। यहां लाखों करोड़ों की संख्या में भक्त बाबा महाकाल को अपना शीश नवाने के लिए पहुंचते हैं। महाकाल मंदिर के अलावा शहर में कई सारे धार्मिक स्थल मौजूद हैं जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। आज हम आपको यहां के ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जो माता काली को समर्पित है और चमत्कारी माना जाता है।

मां गढ़कालिका का यह मंदिर तांत्रिकों की आस्था का केंद्र है और चमत्कारी माना जाता है। इस मंदिर की प्राचीनता के विषय में किसी को जानकारी नहीं है लेकिन इसे महाभारत काल का कहा जाता है और इसमें स्थापित की गई मूर्ति सतयुग काल की है। इसके बाद महाराजा हर्षवर्धन ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था और स्टेट काल में ग्वालियर के महाराजा ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया था।

गढ़ नामक जगह पर होने के चलते काली माता के इस मंदिर का नाम गढ़कालिका पड़ा है। मंदिर के प्रवेश द्वार के आगे माता का वाहन सिंह बना हुआ है और आसपास दो धर्मशालाएं हैं और बीच में देवी मां की स्थापना की गई है। ई. स. 606 के लगभग सम्राट हर्षवर्धन ने यहां जीर्णोद्धार का कार्य करवाया था।

यह मंदिर शक्तिपीठ में शामिल नहीं है लेकिन उज्जैन में हरसिद्धि शक्तिपीठ होने की वजह से इसका महत्व काफी माना जाता है। पुराणों में इस कथा का उल्लेख है कि उज्जैन के नदी के तट पर स्थित भैरव पर्वत पर माता सती के ओष्ठ गिरे थे।

लिंग पुराण में दिए गए उल्लेख के मुताबिक विजय हासिल करने के बाद जब रामचंद्र जी अयोध्या वापस लौट रहे थे उस समय वह रुद्रसागर के तर्ज पर रुके थे। उस समय माता भोजन की खोज में निकली थी।

यहां पर हनुमान जी दिखे और वह उनके पीछे पड़ गई। तभी बजरंगबली ने विशाल रूप धारण कर लिया और उन्हें देखकर माता आश्चर्य में आ गई और वहां से जल्दी जल्दी जाने लगी। उस समय उनका अंश वहां गिरा और वही जगह कालिका के नाम से विख्यात हुई।

इस मंदिर के पास फिर स्थिरमन नामक भगवान गणेश का पौराणिक मंदिर मौजूद है। मान्यताओं के मुताबिक जिन लोगों का मन भटकता है वो अगर यहां पर दर्शन करते हैं तो उनका मन स्थिर हो जाता है। इस मंदिर में पानी में तैरने वाला एक पत्थर भी मौजूद है जो यहां आने वाले लोगों को आश्चर्य में डाल देता है।

गणेश मंदिर के ठीक सामने एक प्राचीन हनुमान मंदिर मौजूद है साथ ही भगवान विष्णु की बहुत सुंदर चतुर्मुख प्रतिमा भी यहां दिखाई देती है। सामने स्थित खेत में गोरे भैरव की प्रतिमा भी स्थापित है और थोड़ी ही दूरी पर पुण्य सलिला शिप्रा बह रही है।

शिप्रा के घाट पर कई सारी सतियों की मूर्तियां है और उज्जैन में जो सतियां हुई हैं उनके स्मारक स्थापित किए गए हैं। मंदिर के उस पार उखरेश्वरी नामक प्रसिद्ध शमशान स्थली भी मौजूद है।

गढ़कालिका के मंदिर में दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और नवरात्रि के मौके पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। अलग-अलग मौके पर यहां विभिन्न तरह के धार्मिक आयोजन और यज्ञ, हवन आयोजित होते रहते हैं। ये जगह लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है और तांत्रिकों का सिद्ध स्थल भी है।

कैसे पहुंचे गढ़कालिका

आगरा, जयपुर, बदनावर, कोटा, रतलाम, भोपाल, इंदौर, शाजापुर दिल्ली देवास और देश के किसी भी शहर से सड़क यात्रा के जरिए उज्जैन पहुंचना बहुत ही आसान है। किसी भी जगह से आप बस या टैक्सी के माध्यम से सड़क यात्रा के जरिए यहां पहुंच सकते हैं।

अगर आप रेल यात्रा के जरिए उज्जैन आने का प्लान कर रहे हैं तो आपको देश के लगभग सभी स्टेशन से सीधे या फिर टुकड़े में यहां आने के लिए ट्रेन आसानी से मिल जाएगी। रेलवे स्टेशन से मंदिर कुछ ही दूरी पर मौजूद है।

आप हवाई यात्रा के जरिए उज्जैन पहुंचने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको उज्जैन से 55 किलोमीटर दूर स्थित इंदौर में मौजूद एयरपोर्ट पर उतरना होगा और वहां से सड़क मार्ग तय करते हुए उज्जैन आना होगा।