Apr 11, 2022, 16:13 IST

चाणक्य नीति: 'अधीत्येदं यथाशास्त्रं नरो जानाति सत्तमः ' चाणक्य के श्लोक में छिपा है सफलता का राज

चाणक्य नीति: 'अधीत्येदं यथाशास्त्रं नरो जानाति सत्तमः ' चाणक्य के श्लोक में छिपा है सफलता का राज

Chanakya Niti in Hindi : चाणक्य नीति के अनुसार जीवन में सफलता पाने के लिए श्रेष्ठ गुणों को अपनाना अत्यंत आवश्यक माना गया है. व्यक्ति जब गुणी होता है तो उसका आचरण, भाषा और बोली सभी को आकर्षित करती है. सफलता चाहिए तो चाणक्य की इन बातों को जीवन में उतार लेना चाहिए-

अधीत्येदं यथाशास्त्रं नरो जानाति सत्तमः ।
धर्मोपदेशं विख्यातं कार्याऽकार्य शुभाऽशुभम् ।।

चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि जो व्यक्ति शास्त्रों के नियमों का निरंतर अभ्यास करके शिक्षा प्राप्त करता है उसे सही, गलत और शुभ कार्यों का ज्ञान हो जाता है. ऐसे व्यक्ति के पास सर्वोत्तम ज्ञान होता है. यानि ऐसे लोग जीवन में अपार सफलता प्राप्त करते हैं.

चाणक्य नीति के अनुसाार मनुष्य को ज्ञान के प्रति सदैव सजग और लग्नशील रहना चाहिए. ज्ञान शास्त्रों से प्राप्त होता है. यनि जो लोग शास्त्रों से जुड़े रहते हैं. शास्त्रों से प्राप्त बातों को अनुभव की कसौटी पर कसते रहते हैं, वे सही और गलत का भेद आसानी से लगा लेते हैं. ऐसे लोगों को कोई भी धोखा नहीं दे पाता है. ऐसे लोग भ्रम की स्थिति से भी दूर रहते हैं. आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसे लोग जीवन में प्रत्येक कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं.

आपदर्थे धनं रक्षेद्दारान् रक्षेध्दनैरपि ।
नआत्मानं सततं रक्षेद्दारैरपि धनैरपि ।।

चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ हर किसी को जानना चाहिए. इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को आने वाली मुसीबतों से बचने के लिए धन की बचत करना चाहिए. उसे धन-सम्पदा त्यागकर भी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए. लेकिन बात यदि आत्मा की सुरक्षा की आ जाए तो उसे धन और पत्नी दोनों को तुक्ष्य समझना चाहिए.

चाणक्य के अनुसार भौतिक युग में धन की विशेष भूमिका है. इसलिए इसकी रक्षा करनी चाहिए. जो लोग धन आने पर उसके महत्व को नहीं समझते हैं. अनावश्यक चीजों पर धन का व्यय करते हैं, वे आगे चलकर मुसीबतों का सामना करते हैं. धन की रक्षा से भी अधिक आवश्यक आत्मा की रक्षा है. आत्मा शुद्ध और पावन होगी तो धन की लक्ष्मी जी का भी आशीर्वाद बना रहेगा.