MP News: शादी का वादा तोड़ना व शादी का झूठा वादा करना दोनों में अंतर, दुष्कर्म की FIR निरस्त

 

Gwalior Court : हाई कोर्ट की एकलपीठ ने एक दुष्कर्म की एफआइआर को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि शादी का वादा तोड़ना व शादी का झूठा वादा करना दोनों में अंतर है।

पीड़िता ने कानून का दुरुपयोग किया है, इसलिए इस मामले में दुष्कर्म का केस चलाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पूरे मामले में पीड़िता की सहमति दिख रही है और वह बालिग है। यह नहीं कहा जा सकता कि डरा धमकाकर यह कार्य किया गया है। कोर्ट ने कहा कि यह केस याचिकाकर्ता के करियर पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा। याचिकाकर्ता एमपीपीएससी का प्री निकाल चुका है।

दरअसल, रजत जग्गा के खिलाफ पड़ाव थाने में 14 मार्च 2023 को दुष्कर्म का केस दर्ज किया गया था। पीड़िता का आरोप था कि वह लाइब्रेरी में पढ़ने जाती थी और वहां रजत से मुलाकात हुई। उसने शादी का झांसा देकर अपने घर बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया। एफआइआर को रजत ने हाई कोर्ट में चुनौती दी।

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता यश शर्मा ने तर्क दिया कि उसे झूठा फंसाया गया है। अभियुक्त का एमपीपीएससी का प्री निकल चुका है। युवती ने शादी का दबाव बनाने के लिए ऐसा किया है और वह बालिग है। सहमति के संबंध थे, न कि दुष्कर्म। अभियोजन व पीड़िता ने याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दुष्कर्म की एफआइआर निरस्त कर दी।