तुलसी विवाह में पूजन की सामग्री को महत्वपूर्ण बताया जाता है 

 

आपको बता दें कि तुलसी विवाह में पूजन की सामग्री को महत्वपूर्ण बताया जाता है ऐसे में पूजन के समय पूरी सामग्री का होना जरूरी है तभी व्रत पूजन का पूर्ण फल मिलता है तुलसी विवाह पूजा में मंडप तैयार करने के लिए गन्ने का उपयोग करना लाभकारी होता है फिर इसके नीचे चौकी पर श्री हरि विष्णु की प्रतिमा, तुलसी का पौधा सजाएं।तुलसी का पौधा जब भी लगाएं तो यह ध्यान रखें कि यह दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। यह अशुभ होता है। तुलसी के पौधे की दिशा हमेशा पूर्वोत्तर या उत्तर होनी चाहिए। 

पूजा के लिए धूप, दीपक, वस्त्र, माला, पुष्प, सुहाग की सभी चीज़े, लाल चुनरी, साड़ी, हल्दी, मूली, आंवला, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा, सीताफल, अमरूद और मौसमी फल आदि रखना शुभ माना जाता है। पूजन में इन सभी चीजों को शामिल करने से तुलसी विवाह पूजा का पूर्ण फल प्राप्ति होता है और धन लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती है और वैवाहिक जीवन भी खुशहाल रहता है। 

तुलसी विवाह विधि:


-जिन लोगों को तुलसी विवाह कराना है वह नहा धोकर साफ वस्त्र पहनकर तैयार हो जाएं।


-जिन लोगों को तुलसी जी का कन्यादान करना है वह व्रत रखें।


-शुभ मुहूर्त में तुलसी के पौधे को आंगन या घर की छत पर किसी चौकी पर स्थापित करें।


-एक दूसरी चौकी लें जिस पर शालिग्राम को स्थापित करें।


-चौकी पर अष्टदल कमल बनाकर उस पर कलश स्थापित करें।


-कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उसके ऊपर आम के पांच पत्ते रखें।


-एक साफ कपड़े में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रखें।


-तुलसी के गमले पर गेरू लगाएं और उसके समक्ष घी का दीपक जलाएं।


-तुलसी के गमले के पास भी रंगोली बनाएं।


-तुलसी और शालिग्राम जी पर गंगाजल से छिड़काव करें। ध्यान रखें कि शालिग्राम की चौकी की दाएं तरफ तुलसी का गमला रखें।


-तुलसी को रोली और शालिग्राम को चंदन का टीका लगाएं।


-तुलसी के गमले की मिट्टी पर गन्ने का मंडप बनाएं उस पर सुहाग का प्रतीक लाल चुनरी चढ़ाएं।


-फिर तुलसी के गमले को साड़ी लपेटकर उन्हें चूड़ी पहना कर दुल्हन की तरह उनका श्रृंगार करें।


-शालिग्राम जी को पीले वस्त्र पहनाएं।


-तुलसी और शालिग्राम को हल्दी लगाएं। बनाए गए मंडप पर भी हल्दी का लेप लगाएं।


-सबसे पहले कलश और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।


-इसके बाद माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की धूप, दीप, फूल, वस्त्र, माला अर्पित करें।


-इसके बाद तुलसी मंगाष्टक का पाठ करें।


-हाथ में आसन सहित शालिग्राम जी को लेकर तुलसी जी की सात बार परिक्रमा करें।


-इसके बाद भगवान विष्णु और तुलसी जी की आरती उतारें। भोग लगाएं


-पूजन के बाद प्रसाद का सभी में वितरण कर दें।

तुलसी विवाह मुहूर्त:


द्वादशी तिथि प्रारम्भ- 15 नवम्बर 2021 को 06:39 AM बजे


द्वादशी तिथि समाप्त- 16 नवम्बर 2021 को 08:01 AM बजे


तुलसी विवाह 15 नवंबर दिन सोमवार को

तुलसी स्तुति मंत्र-


देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

तुलसी पूजन मंत्र-
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी जी के पूजा के दौरान उनके इन नाम मंत्रों का उच्चारण करें

ॐ सुभद्राय नमः

ॐ सुप्रभाय नमः

तुलसी दल तोड़ने का मंत्र

मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी

नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते ।।

रोग मुक्ति का मंत्र

महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी

आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।