UP की सियासत में बदलाव के आसार, समाजवादी पार्टी को झटका देने की तैयारी में शिवपाल यादव

 

नई दिल्ली: विधानसभा चुनावों के बाद एक बार फिर यूपी की सियासत में बदलाव के आसार दिख रहे हैं। मुलायम सिंह यादव के भाई और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ने लगी हैं। शिवपाल यादव ने ट्विटर पर पीएम मोदी और सीएम योगी समेत कुछ बीजेपी नेताओं को फॉलो किया है। पिछले हफ्ते ही शिवपाल यादव ने सीएम हाउस जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी, जिसके बाद लगातार कयासों का बाजार गर्म है।

दरअसल, शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही विधानसभा का चुनाव जीता है। नतीजों के बाद उनके एसपी की तरफ से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने की खबरें भी आईं थीं, लेकिन हालात तब बदल गए जब एसपी के विधायकों की बैठक में ही उन्हें नहीं बुलाया गया। बैठक में ना बुलाए जाए जाने से नाराज शिवपाल ने मुलायम से मुलाकात की थी। इसके बाद जब एसपी ने सहयोगी दलों की बैठक बुलाई तो उन्हें बुलाया था, लेकिन उस बैठक में वो नहीं पहुंचे।

माना जा रहा था कि शिवपाल अब एसपी नेता के तौर पर ही अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाना चाहते थे, लेकिन जिस तरह से उन्हें दरकिनार किया गया, उससे वो बेहद नाराज हैं। इसी के बाद उनके बीजेपी नेताओं से करीबी बढ़ाने की खबरों ने जोर पकड़ लिया है। शिवपाल यादव ने इशारों-इशारों में अपनी नाराजगी जाहिर भी की है। दूसरी तरफ इस मामले पर एसपी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी है।

क्यों साथ नहीं रखना चाहते अखिलेश?
शिवपाल के साथ आने से बहुत फायदा नहीं
विधानसभा चुनावों ने अखिलेश को मजबूत किया
मुस्लिम+यादव ने अखिलेश को अपना नेता माना
M+Y वोट के लिए शिवपाल की जरूरत नहीं दिखती
पार्टी पर भी अखिलेश की पूरी तरह से पकड़
शिवपाल के लिए फिर से स्पेस बनने की गुंजाइश नहीं
शिवपाल को समानांतर 'पावर सेंटर' नहीं बनाना चाहते
परिवार नहीं गैरों के तरह शिवपाल के साथ व्यवहार

भतीजे से नाराजगी क्यों?
2017 विधानसभा चुनाव से ही शिवपाल-अखिलेश के बीच तल्खी जारी है। एक समय मुलायम के बाद सपा में शिवपाल की हैसियत दूसरे नंबर की थी, लेकिन अखिलेश के सपा सुप्रीमो बनते ही शिवपाल बागी हो गए और उन्होंने अपनी पार्टी बनाई PSP बना ली। हालांकि PSP से शिवपाल को कोई खास फायदा नहीं हुआ।

2022 में चाचा-भतीजे के बीच दूरियां कुछ कम हुईं और शिवपाल ने अखिलेश को अपना नेता मान लिया। मुलायम सिंह के कहने पर शिवपाल का सपा से गठबंधन हो गया, लेकिन अखिलेश ने PSP को एक भी सीटें नहीं दीं बल्कि शिवपाल को सपा के सिंबल पर लड़वाया गया। शिवपाल PSP को एक भी सीट न मिलने से नाराज थे और उनकी पार्टी के कई नेता अन्य दलों में शामिल हो गए।

चुनाव में हार के बाद अखिलेश ने मीटिंग बुलाई, लेकिन इसमें शिवपाल को न्योता नहीं दिया गया। मीटिंग के लिए वो 2 दिन लखनऊ में रुके हुए थे और बुलावा न मिलने से नाराज होकर वह इटावा चले गए। वह 24 मार्च को अखिलेश से मिले थे और एसपी में अहम जिम्मेदारी मांगी। सूत्रों ने बताया कि अखिलेश ने शिवपाल को इस बारे में मना कर दिया और उनको पीएसपी का जनाधार बढ़ाने की सलाह दी।

शिवपाल चाहते हैं कि बेटे आदित्य की राजनीति में एंट्री हो और वह इसी चुनाव में आदित्य के लिए टिकट चाहते थे, लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें साफतौर पर मना कर दिया था।