सीरत कपूर को फिल्म जातस्य मरणं ध्रुवम् की शूटिंग के दौरान लगी चोट, अभिनेत्री ने शेयर किया वीडियो कहा, "ये दर्द ज़रूर कामयाबी में बदल जाएगा”

 

अभिनेत्री सीरत कपूर, जो जल्द ही पैन-इंडियन साइकोलॉजिकल सस्पेंस थ्रिलर ‘जातस्य मरणं ध्रुवम्’ में नजर आने वाली हैं, ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया पर एक ईमानदार और बिना फिल्टर वाला वीडियो साझा किया जिसमें वह शूटिंग के दौरान लगी चोट को दिखा रही हैं। इस वीडियो में सीरत अपनी लाल और सूजी हुई कलाई पर आइस पैक रखते हुए दिखाई दे रही हैं — ये चोटें फिल्म के इमोशनल और इंटेंस क्लाइमैक्स सीन की शूटिंग के दौरान लगीं।

वीडियो शेयर करते हुए सीरत ने लिखा,“चोटें तो मिट जाएंगी, लेकिन हर निशान के पीछे की कहानी हमेशा जिंदा रहेगी – जातस्य मरणं ध्रुवम्”

इस अनुभव को लेकर सीरत ने कहा:

“मुझे याद है जब हम फिल्म का आखिरी क्लाइमैक्स सीन शूट कर रहे थे। उस सीन में मुझे चूड़ियां पहननी थीं, और शूट के बाद हम उन्हें निकाल भी नहीं पाए क्योंकि मेरी कलाई सूज गई थी। टीम और प्रोडक्शन ने पूरी सेफ़्टी का ध्यान रखा था, लेकिन जब आप मेथड एक्टिंग के रास्ते पर जाते हैं, तो कुछ चीज़ें टाली नहीं जा सकतीं। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि जब फिल्म रिलीज़ होगी, तो ये सब कुछ वर्थ इट होगा।”

सीरत की अपने किरदार के प्रति प्रतिबद्धता साफ झलकती है। उन्होंने दर्द और असुविधा को सहते हुए एक ऐसा प्रदर्शन दिया है जो फिल्म में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनकी सूजी हुई कलाई की तस्वीर इस बात का प्रतीक है कि पर्दे के पीछे कलाकारों को कितनी शारीरिक मेहनत और बलिदान करना पड़ता है।

‘जातस्य मरणं ध्रुवम्’ में सीरत कपूर के साथ अनुभवी अभिनेता जेडी चक्रवर्ती भी अहम भूमिका में हैं। यह फिल्म अगले महीने पांच भाषाओं में रिलीज़ होगी, जो इसे एक सच्ची पैन-इंडियन सिनेमाई पेशकश बनाती है। यह साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म सीरत को एक नई और गहरी भूमिका में पेश करेगी, जिसे उनके फैंस ने पहले कभी नहीं देखा।

‘जातस्य मरणं ध्रुवम्’, जिसका अर्थ है “जो जन्मा है उसकी मृत्यु निश्चित है”, यह फिल्म मानवीय मन की गहराइयों में उतरती है और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने वाला अनुभव देने का वादा करती है। इसकी जटिल कहानी और रहस्यमयी माहौल के साथ, यह फिल्म तेलुगु थ्रिलर जॉनर में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

जैसे-जैसे फिल्म की रिलीज नज़दीक आ रही है, सीरत का यह बीटीएस पल एक मजबूत संदेश देता है — कि कैमरे के पीछे भी कलाकारों में कितनी हिम्मत और जुनून होता है। अगर यह एक झलक है, तो यकीनन फिल्म में उनका प्रदर्शन दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ेगा।