Updated: Sep 12, 2022, 21:24 IST

पशुओं में हो रहे लंपी वायरस के संक्रमण में प्रदेश के सात जिले 'रेड' जोन आ गए हैं

पशुओं में हो रहे लंपी वायरस के संक्रमण में प्रदेश के सात जिले 'रेड' जोन आ गए हैं
देश के कई प्रदेशों के मवेशियों पर लंपी वायरस का संक्रमण फैल जाने के बाद अब इस वायरस में प्रदेश में भी दस्तक दे दी है। पशुओं में हो रहे लंपी वायरस के संक्रमण में प्रदेश के 7 जिले 'रेड' जोन आ गए हैं। इनमें गुजरात और राजस्थान के सीमावर्ती जिले अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़ और बुराहनपुर शामिल हैं। वहीं राजस्थान और गुजरात से पशुओं की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। इन जिलों में पशु चिकित्सकों और किसानों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा प्रदेश के रतलाम, उज्जेन मंदसौर और खंडवा जिले में भी लंपी वायरस की पुष्टि होने के बाद इंदौर, धार, बुराहनपुर, बेतुल, नीमच जिले में भी लक्षण पाए गए है।
राज्य पशु रोग अंवेषण प्रयोग शाला भोपाल में कंट्रोल रूम बनाया गया है। गौ पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड कार्य परिषद के द्वारा सभी गौशालाओं में अलर्ड जारी कर देने के बाद अब विदिशा जिले में भी गौ माताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए। समय रहते मवेशियों में सुरक्षा के सभी इंतजाम नहीं किए गए तो आने वाले समय में लंपी वायरस यहां भी दस्तक दे सकता है। सावधानी के तौर पर जिले के बाहर के अन्य मवेशियों की आवाजाही पर रोक लगाने की जरूरत है।
जिले के बाहर आवाजाही पर लगे रोक
लंपी वायरस के खतरे को ध्यान में रखते हुए पशु पालकों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। जिसके तहत अपने मवेशियों को न तो जिले के बाहर ले जाएं और न ही किसी अन्य जिले के मवेशियों को जिले के अंदर आने पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है। यह सावधानी बरती गई तो विदिशा जिले में लंपी की दस्तक नहीं हो सकेगी।
गौशालाओं में विशेष सतर्कता की जरूरत
जिले में बनी गौशालाओं में वर्तमान परिवेश में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। किसी भी गाय की गौशाला में एंट्री करने से पहले उसकी जांच कराना जरूरी है। खासकर जिले के बाहर के गौवंश को गौशाला में बिना जांच के प्रवेश पर ध्यान देना होगा।
ऐसे फैलता है लंपी वायरस
लंपी पशुओं की एक वायरस बीमारी है। जो पाक्स वायरस से फैलता है। यह रोग मच्छर, मक्खी और टिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशु में फैलता है। हालांकि राहत देने वाली बात यह है कि मनुष्यों में इस वायरस का खतरा नहीं होता है। वहीं लंपी वायरस की चपैट में आने वाले अधिकतर संक्रमित पशु दो से तीन सप्ताह में स्वस्थ्थ हो जाते हैं। लेकिन दुग्ध उत्पादकता में कमी कई सप्ताह तक बनी रहती है।
यह है सुरक्षा एवं बचाव के उपाय
पशु विशेषज्ञों के अनुसार लंपी वायरस से संक्रमित पशु को अलग रखना चाहिए। संक्रमित क्षेत्र में मक्खी, मच्छर की रोकथाम के अलावा पशुओं के आवागमन पर रोक लगाना शामिल है।
58 हजार गौ माताओं की हो चुकी है मौत
लंपी वायरस के संक्रमण की चपैट में देश के 16 राज्यों के पशु आ चुके हैं। लंपी वायरस वाले प्रदेशों में हजारों गौ माताएं अब तक दम तोड़ चुकी हैं। गौ माताओं की मृत्यु के मामले में जो जानकारी सामने आई है। उसके अनुसार 58 हजार गौ माताओं की मौत हो जाना बताया जा रहा है। जिसके चलते जिले की गौशालाओं में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। थोड़ी सी भी लापरवाही गौमाताओं की जान को जोखिम डाल सकती है।