खासकर साल 2020 के मार्च में आई कोरोना महामारी में इसे बेहतर रूप से इस्तेमाल किया गया। एक अधिकारी ने बताया कि डीबीटी कोविड में लोगों की रक्षक थी। उन्हें सरकार से पैसा सीधे उनके बैंक खाते में मिला। अंतिम वित्तीय वर्ष में करीब 73 करोड़ लोगों ने डीबीटी स्कीम का नकद में फायदा उठाया, जबकि 105 करोड़ लोगों ने दूसरे जरियों से डीबीटी का लाभ उठाया। इसके साथ ही सरकार यह भी दावा करती है कि डीबीटी स्कीम से 2.2 ट्रिलियन रुपए गलत हाथों में जाने से बचा लिए। सरकार ने बैंक अकाउंट को आधार से लिंक कराया, ताकि इस रकम का गलत इस्तेमाल न हो।
लगातार बढ़ा योजना का दायरा
बता दें कि 53 केंद्रीय मंत्रालयों की 319 स्कीम डीबीटी योजना से जुड़ी हुई हैं। इनमें एलपीजी पायल स्कीम, महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, खाद एवं उर्वरक योजना, पीएम आवास योजना, कई स्कॉलरशिप योजनाएं और नेशनल सोशल असिस्टेंस जैसी योजनाएं शामिल हैं। यूपीए सरकार ने साल 2013-14 में डीबीटी स्कीम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया था। नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2014-15 में इस स्कीम को और बड़ा कर दिया। साल 2017-18 में डीबीटी स्कीम ने 1.9 ट्रिलियन रुपए का आंकड़ा छू लिया और साल 2019-20 तक इसमें कई और स्कीमें जोड़ दी गईं।